Depreciation in Hindi, डेप्रिसिएशन क्या है, 11th, 12th क्लास हो चाहे BBA, MBA, B. COM या M. COM हो, अकाउंटिंग में डेप्रिसिएशन एक महत्वपूर्ण चैप्टर है।
अलग-अलग क्लाससेस के कोर्सेस में ‘डेप्रिसिएशन’ एक महत्वपूर्ण चैप्टर है, अक्सर इस टॉपिक से सवाल परीक्षाओं में जरूर पूछे जाते है, अगर आप कोई बिजनेस कर रहे है या करने की सोच रहे है तो इस चीज के बारे में जानकारी होना चाहिए।
Hello Friends, आज हम बात करने जा रहे है, डेप्रिसिएशन यानि मूल्य ह्रास के बारे में (depreciation in hindi meaning), डेप्रिसिएशन क्या है?, डेप्रिसिएशन के क्या कारण होते है, तथा अन्य कई महत्वपूर्ण चीजों के बारे में… उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।
Depreciation in Hindi Meaning डेप्रिसिएशन क्या है? –
What is the Meaning of Depreciation in Hindi, साधारण शब्दों में कहे तो बिजनेस में किसी भी फिक्स्ड ऐसेट पर होने वाली मूल्य में कमी को डेप्रिसिएशन कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में समय के साथ एक निश्चित रूप से किसी भी समान की कीमत में होने वाली गिरावट को ही डेप्रिसिएशन कहा जाता है।
जब भी हम कोई चीज जैसे कंप्युटर, फर्नीचर, इत्यादि अपने बिजनेस के लिए खरीदते है तो समय के साथ उसकी कीमत में कमी होने लगती है, जिसे डेप्रिसिएशन के नाम से जाना जाता है।
‘Depreciation’ शब्द लैटिन शब्द ‘Depretium’ से आया है, जिसका मतलब होता है किसी भी चीज की मूल्यों और कीमत में निरंतर गिरावट होना।
यहाँ पर मूल्यों से हमारा तात्पर्य उसकी कीमत से नहीं बल्कि उसके अपने पहचान या अथॉरिटी से है।
डेप्रिसिएशन के अंतर्गत हमेशा किसी निश्चित क्रम में किसी एसेट की मूल्यों में निरंतर कमी होती रहती है, डेप्रिसिएशन को हमेशा फिक्स्ड एसेट पर ही लगाया जाता है, वो चीजें जो हमारे हमारे बिजनेस या रोजाना की लाइफ में काम आती है।
डेप्रिसिएशन एक तरह का खर्चा होता है जिसका ‘लेसर’ ‘डेप्रिसिएशन’ बनता है और ‘ग्रुप’ जाता है ‘इन डायरेक्ट डेप्रिसिएशन’ के अंतर्गत।
Hindi Meaning of Depreciation डेप्रिसिएशन के क्या कारण होते है? –
किसी भी वस्तु के कीमत में होने वाली यह गिरावट कई कारणों से होती है, डेप्रिसिएशन के कुछ कारण इस प्रकार है –
1. Wear and Tear Due to Actual Use वस्तु का प्रयोग किया जाना –
जब हम किसी नई चीज को निरंतर प्रयोग करते है तो वह पहले जैसा नया नहीं रह जाता है, किसी भी चीज को हम जितना भी प्रयोग करते जाएंगे उसकी क्षमता उतनी ही कम होती जाएगी, और यही कम होती क्षमता उसके मूल्य में कमी का एक बड़ा लकारण होता है।
उदाहरण के तौर पर बात करें तो जब हम कोई नया कंप्युटर/लैपटॉप या स्मार्टफोन लेते है तो शुरू में उसकी क्षमता 100% होती है, यह उसके बैटरी और प्रोसेसर तथा अन्य पार्ट की क्षमता है।
अब जैसे-जैसे हम इसको प्रयोग में लेंगे दिन-प्रतिदिन इसकी बैटरी की क्षमता कम होती चली जाएगी, कुछ महीनों के बाद इसकी कीमत काफी कम हो जाएगी।
2. Efflux of Time समय का बीतना –
समय के साथ भी कोई चीज है तो उसकी कीमत में कमी आ सकती है, माँ लीजिए आपने कोई स्मार्टफोन या कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम लिया और आपने खरीदकर उसे रख दिया उसका प्रयोग नहीं कर रहे है।
क्या 6 महीने बाद भी उसकी कीमत उतनी ही रहेगी तो उत्तर है नहीं, ऐसे बहुत सी चीजें है जिन्हें आप खरीदते है तो उसी समय से उसकी कीमत में बहुत बड़ी कमी हो जाती है और इलेक्ट्रॉनिक आइटम इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
3. Change in Technology (Obsolescence) टेक्नॉलजी में बदलाव –
अगर आज आप कोई चीज प्रयोग कर रहे है और बाद में कोई चीज उससे बेहतर टेक्नॉलजी और अच्छे फीचर के साथ आती है तो आप जो चीज का प्रयोग कर रहे है उसकी कीमत अपने आप कम हो जाएगी।
इसके लिए सबसे अच्छे उदाहरण की बात करें तो वह है स्मार्टफोन, आप किसी भी कंपनी का कोई भी स्मार्टफोन प्रयोग करते है, जब वह नया होता है तो उसकी कीमत ज्यादा होती है, लेकिन जब उसकी स्मार्टफोन का अगला वर्जन आता है तो आप जो फोन प्रयोग कर रहे है उसकी कीमत अपने आप कम हो जाती है।
और हमें एक साल पुराना मॉडल थोड़े कम कीमत पर मिलता है, नए फोन की तुलना में, टेक्नॉलजी में बदलाव भी डेप्रिसिएशन का एक कारण माना जाता है।
इसका एक दूसरा कारण यह भी है कि मान लीजिए कोई नया लैपटॉप सबसे बेस्ट फीचर के साथ आने वाला 1,00,000 रुपये में मिल रहा है।
लेकिन कुछ समय बाद कोई दूसरी कंपनी वही लैपटॉप 25,000 रुपये में उससे अच्छे फीचर के साथ बेचने लगे तो, क्या आप पहले वाला लैपटॉप एक लाख में लेंगे आप में से सभी का उत्तर होगा नहीं।
क्योंकि जब हमें बढ़िया फीचर वाला लैपटॉप कम कीमत में मिल रहा है तो हम ज्यादा पैसे क्यों दें, इस स्थिति में उस पहले वाले लैपटॉप की कीमत घट जाएगी, और उसकी कीमत पहले की कीमत से कम हो जाएगी।
4. Accident दुर्घटना –
एक्सीडेंट भी डेप्रिसिएशन का एक बड़ा कारण है, माँ लीजिए कि आपने कोई नया फोन लिया और दूसरे दिन ही फोन आपके हाथ से गिरकर टूट गया, तो क्या अब आपको वापस बेचने पर वही कीमत मिलेगी जिस कीमत पर आपने खरीद था, तो उत्तर है नहीं।
एक्सीडेंट, किसी भी एसेट की कीमत को बहुत तेजी से गिरा देती है, यदि किसी दुर्घटना के बाद, एसेट काम के लायक नहीं रह जाता है तो फिर उसकी कीमत में काफी ज्यादा डेप्रिसिएशन देखने को मिलता है।
5. Depletion खपत –
किसी भी एसेट की कीमत बाजार में उसकी मांग के ऊपर भी निर्भर करती है, अगर डिमांड से ज्यादा सप्लाइ होती है तो इस स्थिति में किसी भी चीज के दाम में कमी आ जाती है, Depletion भी किसी एसेट के डेप्रिसिएशन का एक कारण माना जाता है।
डेप्रिसिएशन कैसे तय करते है? –
किसी बिजनेस में कोई प्रोडक्ट यूज किया जा रहा है तो ऐसा नहीं है कि खुद से डिसाइड कर लें कि एक साल बाद उस सामान की कीमत ये रह जाएगी।
हर सामान की कुछ न कुछ डेप्रिसिएशन रेट होती है जो गोवर्मेंट के द्वारा निर्धारित की जाती है, इसे अपनी मर्जी से नहीं लगा सकते है।
माँ लीजिए कि आपने अपने बिजनेस के लिए एक AC खरीदी तो एक साल बाद उसकी कीमत कितनी होगी इसे अपने हिसाब से नहीं तय कर सकते है, कि एक साल बाद हमारे AC की कीमत कितनी रह जाएगी।
नीचे डेप्रिसिएशन के बारे में कुछ सामानों की एक सूची दी गयी है, ध्यान दें कि इसमें सभी सामानों की लिस्ट नहीं है, लेकिन इसमें उन सामानों को शामिल किया गया है जो कि अधिकतर किसी बिजनेस में प्रयोग किये जाते है
SR No. | Fixed Assets Name | Depreciation Rates |
1. | PRINTERS | 40% |
2. | COMPUTER & LAPTOPS | 40% |
3. | INVERTOR | 40% |
4. | UPS & BATTERIES | 40% |
5. | COMPUTER SOFTWARES | 40% |
6. | PLANT & MACHINARY | 15% |
7. | CARS | 15% |
8. | MOTOR CYCLE | 15% |
9. | AIR CONDITIONER | 15% |
10. | MOBILE PHONES | 15% |
11. | CCTV CAMERA | 15% |
12. | FURNITURE | 10% |
13. | DÉCOR ITEMS | 10% |
14. | ELECTRONIC ITEMS | 10% |
15. | FAN & LIGHTINGS BULB | 10% |
16. | SOFA | 10% |
17. | LED TV | 15% |
डेप्रिसिएशन के अंतर्गत कौन सी चीजें नहीं आती? –
किसी बिजनेस के Balance Sheet में बिल्डिंग, हाउस प्रॉपर्टी, प्लॉट या फ्लैट आदि का उल्लेख किया गया है तो इन चीजों पर डेप्रिसिएशन नहीं लगाया जाता है।
क्योंकि इन चीजों की कीमत दिनों दिन बढ़ती ही जाती है इसलिए ये सारे असेट्स पर कोई भी डेप्रिसिएशन नहीं लगता और इसे अगर आपने खरीद है तो जितने में लिया है, उतना ही दिखाना पड़ता है।
किसी बिजनेस के Balance Sheet में बिल्डिंग, हाउस प्रॉपर्टी, प्लॉट या फ्लैट आदि का उल्लेख किया गया है तो इन चीजों पर डेप्रिसिएशन नहीं लगाया जाता है।
क्योंकि इन चीजों की कीमत दिनों दिन बढ़ती ही जाती है इसलिए ये सारे असेट्स पर कोई भी डेप्रिसिएशन नहीं लगता और इसे अगर आपने खरीद है तो जितने में लिया है, उतना ही दिखाना पड़ता है।
डेप्रिसिएशन को कैसे कैलकुलेट करते है? –
डेप्रिसिएशन को कैलकुलेट करने के लिए कुछ तरीके है, जो कि कुछ इस प्रकार है।
Straight Line Method,
Straight Line Method –
इस तरीके को और भी नामों से बुलाया जाता है, Fixed Percentage on Original Cost Method या Fixed Installment Method।
जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है कि इस तरह की गणना में डेप्रिसिएशन की डर हर साल एक समान रहती है, Straight Line Method के अंतर्गत किसी भी वस्तु का डेप्रिसिएशन इस फॉर्मूले के आधार पर किया जाता है।
Depreciation = Original Cost – Scrap Value / Useful Life
डेप्रिसिएशन निकालने के लिए एसेट की वास्तविक कीमत में से स्क्रैप वैल्यू को घटाकर उसकी प्रयोग की जा सकने वाली लाइफ (Useful Life) से भाग देकर प्राप्त की जा सकती है।
Example – एक कंपनी ने एक मशीन खरीदी जिसकी कॉस्ट 2,00,000 रुपये है, और इसकी अनुमानित स्क्रैप कीमत 20,000 रुपये है, तथा इस मशीन को प्रयोग करने की अनुमानित उम्र सीमा 5 साल है, तो इस मशीन पर हर अलग-अलग वर्ष में कितना डेप्रिसिएशन लगेगा?
जैसा कि फॉर्मूले के हिसाब से देखते है तो डेप्रिसिएशन का अमाउन्ट हमें 36,000 मिलेगा, जो कि हर साल इसी रेट से घटेगा यानि पहले साल भी इसकी डेप्रिसिएशन36,000 होगी और पांचवें साल भी 36,000 ही डेप्रिसिएशन रेट रहेगी।
इसे ग्राफ पर देखें तो कुछ इस तरह से दिखेगा, पहले साल मशीन की BOOK VALUE 36,000 से कम होगी और पहले साल घटकर 1,64,000 रह जाएगी।
दूसरे साल भी मशीन पर इतना ही डेप्रिसिएशन लगेगा और मशीन की BOOK VALUE 1,28,000 रह जाएगी।
इसी तरह तीसरे साल मशीन की BOOK VALUE घटकर 92,000 पर रह जाएगी, इसके बाद घटकर पाँच साल के बाद घटते हुए 20,000 पर या जाएगी, जो कि इसके स्क्रैप वैल्यू के बराबर है।
Straight Line Method में किसी एसेट की यूजफुल लाइफ के बाद किसी भी एसेट की BOOK VALUE हमेशा स्क्रैप वैल्यू के बराबर रहेगी।
Written Down Method –
इस तरीके को भी कुछ अन्य नामों जैसे Fixed Percentage on Diminishing Balance Method तथा Reducing Installment Method से भी जाना जाता है।
इस तरीके से डेप्रिसिएशन की कैलकुलेशन करने के लिए डेप्रिसिएशन की दर पता होनी चाहिए, अगर डेप्रिसिएशन की दर के बारे में जानकारी दी गयी है तो ठीक है नहीं तो पहले इस दर को नीचे दिए गए फॉर्मूले से निकालते है।
Rate of Depreciation =
और फिर इस रेट के साथ मशीन की कॉस्ट के साथ गुणा करके डेप्रिसिएशन निकालते है, नीचे इस फॉर्मूले के अनुसार हमें अंतिम उत्तर प्राप्त होता है।
Depreciation = Original Cost × Rate of Depreciation
Example – एक कंपनी ने 2,00,000 रुपये की एक मशीन खरीदी, जिसपर डेप्रिसिएशनकी दर 20% है और मशीन की यूजफुल लाइफ 5 वर्ष है, तो डेप्रिसिएशन की कीमत कितनी होगी?
क्योंकि इसमें डेप्रिसिएशन की दर दी गयी है इसलिए दिए गए फॉर्मूले के हिसाब से देखें तो,
Depreciation = Original Cost × Rate of Depreciation
इस तरह गणना करने पर हमें यह कीमत 40,000 रुपये मिलती है, इस मेथड में एक बड़ा अंतर यह है कि किसी भी एसेट की डेप्रिसिएशन की कीमत हर साल बदलती रहती है।
पहले साल यह कीमत 40,000, दूसरे साल 32,000 तीसरे साल 25,600 रुपये इसके बाद चौथे साल 20,480 और पांचवें साल यह कीमत घटकर 16,384 रुपये रह जाएगी।
और इसी आधार पर असेट के BOOK VALUE में भी कमी आएगी, जिसे आप चार्ट के माध्यम से देख सकते है।
Annuty Method –
डेप्रिसिएशन को कैलकुलेट करने का तीसरा तरीका “Annuty Method” होता है, पिछले दोनों तरीके “Straight Line Method” और “Written Down Method” इन्टरेस्ट को इग्नोर करते है, लेकिन इस तरीके से इन्टरेस्ट को भी कैलकुलेट किया जा सकता है।
यदि कोई व्यक्ति एक एसेट खरीदता है तो केवल वह उतने रुपये नहीं गंवाता है जितने का उसने खरीदा है बल्कि, वो उस इन्टरेस्ट को भी खो देता है, जो उसे खरीदे हुए एसेट की कीमत पर मिलता।
यही अलग चीज हमें इस “Annuty Method” में देखने को मिलती है, इसको कुछ इस तरह से समझते है।
Example – किसी लीज को 4 साल के लिए 20,000 रुपये की कीमत पर खरीदा गया है और इसपर ब्याज की दर 5% है, तो इसका डेप्रिसिएशन कितना होगा?
इसको ह्ल् करने करने के लिए सबसे पहले हमें Annuty Table की जरूरत पड़ेगी यह देखने के लिए, कि 1 रुपये पर 5% की दर से 4 सालों के लिए Annuty Method से कितना डेप्रिसिएशन लगता है।
तो निचे चार्ट के हिसाब से, 5% के कॉलम में, 4 साल पर देखना है तो, इस हिसाब से 0.282012 मिलता है।
अब इस संख्या को वास्तविक कीमत (Original Cost) से गुण कर देंगे, तो संख्या हमें प्राप्त होती है – 5640.24 का डेप्रिसिएशन मिलेगा।
0.282012 × 20,000 = 5640.24
इस तरीके से जो डेप्रिसिएशन प्राप्त होता है वह हर साल फिक्स रहता है जबकि इसपर लगने वाले इन्टरेस्ट का रेट बदलता रहता है, क्योंकि इन्टरेस्ट को हर साल एसेट की बैलेंसिंग अमाउन्ट पर निकलते है।
Machine Hours Rate Method –
यह तरीका मशीन के केस में यूजफुल होता है, जब किसी मशीन की लाइफ घंटे के हिसाब से फिक्स रहती है, इस तरीके में डेप्रिसिएशन की गणना करने के लिए इस फॉर्मूले का प्रयोग करते है।
इस मेथड के हिसाब से मशीन की कीमत में से स्क्रैप वैल्यू को घटाकर, प्राप्त संख्या को प्रयोग किये गए घंटों से गुण करते है और फिर प्राप्त इस संख्या को कुल अनुमानित घंटों से भाग देने पर हमें जो संख्या मिलती है, वही उस मशीन की डेप्रिसिएशन होती है।
Example – किसी मशीन की कीमत 42,000 रुपये है, जिसकी स्क्रैप वैल्यू है 2,000 रुपये और इसकी टोटल एस्टीमेटेड घंटे है 25,000 घंटे और साल में मशीन 1000 घंटे प्रयोग की जाती है तो उसकी डेप्रिसिएशन क्या होगी?
इस मेथड में किसी मशीन का जितना ज्यादा प्रयोग होगा उतना ज्यादा उसका डेप्रिसिएशन आएगा।
Production Unit Method –
इस मेथड में एसेट या मशीन अपनी यूजफुल लाइफ में जितनी यूनिट उत्पादन करती है, उस हिसाब से डेप्रिसिएशन को निकाला जाता है।
मतलब हर साल डेप्रिसिएशन इस बात पर निर्भर करेगा कि कि एसेट उस साल कितने यूनिट उत्पादन करता है, इस मेथड से डेप्रिसिएशन को निकालने के लिए पहले एक यूनिट पर डेप्रिसिएशन निकलते है इसके बाद फिर हर साल जितनी यूनिट का उत्पादन होगा उससे गुणा कर देते है।
उदाहरण के तौर पर – किसी मशीन की कीमत 2,50,000 रुपये है, जिसको इंस्टॉल करने में 10,000 रुपये का खर्च आता है, मशीन की Salvage Value 5,000 रुपये है, मशीन की यूजफुल लाइफ 5 साल है, मशीन अपनी पूरी लाइफमें लगभग 15,000 यूनिट का उत्पादन करती है, तो हर साल का डेप्रिसिएशन क्या होगा? जब मशीन का प्रोडक्शन कुछ इस प्रकार है।
YEAR 1 | YEAR 2 | YEAR 3 | YEAR 4 | YEAR 5 |
2,000 units | 25,000 units | 2,800 units | 3,500 units | 4,200 units |
इसके लिए सबसे पहले डेप्रिसिएशन प्रति यूनिट के हिसाब से निकालेंगे तो यहां पर डेप्रिसिएशन/यूनिट कुछ इस तरह आएगा।
अब इसका गुणा हर साल उत्पादित होने वाले यूनिट से करेंगे और डेप्रिसिएशन निकालेंगे जो कि हमें कुछ इस प्रकार से देखने को मिलेगा।
डेप्रिसिएशन किसे कहते है?
What is the Meaning of Depreciation in Hindi, साधारण शब्दों में कहे तो बिजनेस में किसी भी फिक्स्ड ऐसेट पर होने वाली मूल्य में कमी को डेप्रिसिएशन कहा जाता है, दूसरे शब्दों में समय के साथ एक निश्चित रूप से किसी भी समान की कीमत में होने वाली गिरावट को ही डेप्रिसिएशन कहा जाता है।
डेप्रिसिएशन कितने प्रकार का होता है?
मूल्यह्रास पांच प्रकार के होते है, Straight Line Method, Written Down Method, Annuty Method, Machine Hours Rate Method, Production Unit Method इत्यादि होते है।
डेप्रिसिएशन की परिभाषा
किसी भी फिक्स्ड ऐसेट पर होने वाली मूल्य में कमी को डेप्रिसिएशन कहा जाता है, दूसरे शब्दों में समय के साथ एक निश्चित रूप से किसी भी समान की कीमत में होने वाली गिरावट को ही डेप्रिसिएशन कहा जाता है।
डेप्रिसिएशन के क्या कारण है?
Wear and Tear Due to Actual Use, Efflux of Time, Accident, Depletion और Change in Technology (Obsolescence) इसके कारण है।
Summary –
तो दोस्तों, Depreciation in Hindi Meaning (What is the Meaning of Depreciation in Hindi) के बारे में यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं और यदि इस टॉपिक से जुड़ा आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो उसे नीचे कमेन्ट बॉक्स में लिखना न भूलें, धन्यवाद 🙂
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