Bhasha Kise Kahate Hain【भाषा किसे कहते है】पूरी जानकारी

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Bhasha Kise Kahate Hain, भाषा किसे कहते है, मौखिक भाषा किसे कहते है, Likhit Bhasha Kise Kahate Hain, Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain, Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain

जब से इंसानों ने धरती पर एक समूह में रहना शुरू किया है, तभी से एक दूसरे शब्दों में बातचीत करने के लिए अपने अनुसार तरह-तरह की आवाज का प्रयोग करना शुरू किया, जिसकी मदद से अपने मन के भावों या विचारों को एक-दूसरे तक पहुँचा सकते थे, चाहे इंसान हो या पक्षी सभी अपनी बात कहने के लिए किसी न किसी भाषा का प्रयोग करते है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, भाषा के बारे में Bhasha Kise Kahate Hain, भाषा कितने प्रकार की होती है, भारत में तथा पूरी दुनिया में बोली जाने वाली भाषाएं कौन-कौन सी है, तथा इससे जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण चीजों के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह पसंद आएगा।

भाषा किसे कहते है?-

Bhasha Kise Kahate Hain
Thumbnail (Bhasha Kise Kahate Hain)

भाषा वह माध्यम है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने मन के भावों या विचारों को दूसरो बोलकर, सुनकर, लिखकर या अपने इशारों के माध्यम से दूसरो के सामने प्रकट कर सकता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, जिस किसी भी माध्यम से हम अपने मन के भावों या विचारो को किसी दूसरे को समझा सके और अन्य दूसरों व्यक्तियों के भावो को समझ सके उसे “भाषा” कहते है।

भाषा का अर्थ है एक दूसरे से संपर्क करने के लिए किसी भी माध्यम से सिस्टमेटिक रूप में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया, जब हम किसी से कुछ कहना चाहते है तो उसको बोलने के लिए कुछ नियम बनाये गए है, उसके तहत हमें नियमों का ध्यान रखते हुए मन के विचारों को सामने वाले व्यक्ति तक पहुँचा सकते है।

“भाषा” शब्द को संस्कृत (Sanskrit) की “भाष्” धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है स्पष्ट वाणी बोलना या भाषित होना।

“भाषा” शब्द लैटिन (Latin) भाषा के शब्द “Linguaticum” या “lingua” से लिया गया है जिसका अर्थ “जीभ” होता है, अंग्रेजी में इसे “Language” कहा जाता है।

हमारे मुंह से निकली वे सार्थक (अर्थयुक्त) ध्वनियाँ है जिसकी मदद से दूसरों तक हम अपनी भावनाओं को पहुँचा सकते है, स्पष्ट रूप से अपने अर्थों को ताने वाली ये ध्वनियाँ भाषा कहलाती है।

चाहे हम किसी भी जगह पर क्यों न चले जाएं, भाषा का प्रयोग अलग-अलग तरह से किया जाता रहा है।

आपने देखा होगा कि कभी-कभी अध्यापक/अध्यापिका मुंह पर उंगली रखकर बच्चों को चुप रहने का संकेत देते है, चौराहे पर खड़ा यातायात-सिपाही हाथों के संकेतों के माध्यम से यातायात को नियंत्रित करते हुए उसे चलाता है।

गूंगे या बहरे व्यक्ति अपने इशारों के माध्यम से विचार प्रकट करते है, पशु-पक्षी भी बोली के माध्यम से अपने दूसरे जानवरों/जंतुओं से संपर्क करते है, Bhasha Kise Kahate Hain आपको जानकारी मिल गयी होगी, प्रयोग के आधार पर भाषा तीन प्रकार की होती है –

Bhasha Kise Kahate Hain
Bhasha Kise Kahate Hain

लिखित भाषा (Likhit Bhasha Kise Kahate Hain) –

जब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक विचारों का आदान-प्रदान लिखित रूप में यानि शब्दों के माध्यम से लिखकर किया जाता है तो उसे लिखित भाषा कहा जाता है।

लिखित भाषा में दो मुख्य किरदार होते है सबसे पहले एक लिखने वाला और दूसरा पढ़ने वाला, लिखने वाले के समान ही पढ़ने वाले का भी महत्व होता है।

यदि उदाहरण के तौर पर बात करें तो इस आर्टिकल को ही मान सकते है जिसे हमारे द्वारा लिखा गया है और एक पाठक के तौर पर आप इसे पढ़ रहे है।

लिखित (Likhit Bhasha Kise Kahate Hain) भाषा को समझने के लिए लिपि और भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है, तभी कोई व्यक्ति लिख और पढ़ सकता है।

इसके अलावा अन्य उदाहरण की बात करें तो वे सभी चीजें जो लिखकर बताई जाती है लिखित भाषा के अंतर्गत ही आती है।

जैसे – किताब, पत्र, समाचार-पत्र, जीवनी, संस्मरण, दुकानों पर लगे विज्ञापन बोर्ड, नोट्स, या आप अपने चारों तरफ कुछ भी देखते है जो कुछ भी लिखा हुआ है आदि।

अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की लिखित भाषा अलग-अलग होती है, हमारे देश में लगभग हर राज्य में अलग-अलग भाषा लिखी जाती है।

लेकिन हिंदी और अंग्रेजी ऐसी भाषाएं है जो पूरे भारत में कुछ क्षेत्रों को छोड़कर लिखित रूप में प्रयोग की जाती है।

लिखित भाषा, भाषा का एक स्थाई रूप है और इसकी इकाई वर्ण होते है, वर्णों के मिलने से शब्द का निर्माण होता है, शब्दों के मिलने से वाक्य बनते है, जिसकी मदद से किसी भी चीज के बारे में लिखा जा सकता है।

मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain) –

जब कोई दो या दो से अधिक व्यक्ति बोलकर मन के भावों या विचारों को एक दूसरे के सामने लाते है, तो उसे मौखिक भाषा कहते है।

मौखिक भाषा (Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain) को “कथित भाषा” भी कहा जाता है, धरती पर रहने वाले सभी जीवधारी मौखिक रूप से ही सबसे ज्यादा सूचनाओं का आदान-प्रदान करते है, बिना इसके जीवन की सहजता की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

उदाहरण के तौर पर बात करें तो, व्याख्यान, बातचीत, भाषण, टेलीफोन पर बातें करना, या कोई भी कम्यूनिकेशन जो शब्दों को बोलने से स्थापित होता है, मौखिक भाषा कहा जा सकता है।

मौखिक भाषा को जब बोलते है तो यह उसी समय समाप्त हो जाती है और इसमें कम्यूनिकेशन स्थापित होने के लिए वक्त और श्रोता का एक ही समय पर मौजूद होना आवश्यक है, हालांकि इसके कुछ अपवाद है जैसे रिकॉर्डिंग को सुनना इसमें से एक है।

मौखिक भाषा, भाषा का एक अस्थाई रूप है और इसकी इकाई ध्वनि होती है, जिसके मिलने से शब्द का निर्माण होता है, जिसका प्रयोग वाक्य बनाने और बातचीत करने में किया जाता है।

सांकेतिक भाषा (Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain) –

भाषा का वह माध्यम जिसमें हम इशारों या संकेतों के माध्यम से अपनी बातों को दूसरे तक पहुंचाते है, उसे सांकेतिक भाषा कहते है।

सांकेतिक भाषा बाकी दोनों भाषाओं से ज्यादा अलग नहीं है, अक्सर लोग बोलते समय अपने हाथ, पैर या सिर का प्रयोग करते है।

घर हम किसी भी चीज को बोलते समय हाथ के माध्यम से इशारे करते है तो सामने वाले तक आसानी से मैसेज पहुँचया सकते है।

यही कारण है कि आपने आपण आसपास लगभग हर व्यक्ति को बात करते समय उसके हाथ या सिर को हिलाते हुए देख सकते है।

सांकेतिक भाषा का प्रयोग केवल यहाँ तक नहीं है, इसका प्रयोग अन्य जगहों पर भी होता है, जिसके बारे में हमने नीचे बात की है। अन्य भाषाओं की तरह सांकेतिक भाषा भी संवाद करने का माध्यम है, वे व्यक्ति जो बोल या सुन नहीं सकते है उनके लिए सांकेतिक भाषा ही एक माध्यम होता है, बात करने का।

सांकेतिक भाषा सर्वग्राह्य भाषा नहीं है इस कारण से इसका व्याकरण में अध्ययन नहीं किया जाता है।

सांकेतिक भाषा के कुछ उदाहरण जैसे –

रंगों के संकेत – आपने चौराहों पर लाल, पीले, हरे, रंग के संकेतक जरूर देखें होंगे, इतना ही नहीं सड़क पर रोड के बीचोबीच तथा कुछ किलोमीटर की दूरी पर पत्थर लएगे होते है, ये सभी चीजें एक संकेतक के रूप में काम करती है। कि इन जगहों पर लोगों को किस तरह से व्यवहार करना चाहिए, इन संकेतों को देखकर ही लोग समझ जाते है, कि वहाँ पर क्या करना है।

ध्वनि के संकेत – खतरे की आवाज, सायरन की आवाज, स्कूल में घंटी की आवाज, रेलवे फाटक के पास ट्रेन आने की आवाज, जैसे ध्वनियों के संकेत दर्शाए नहीं जाते है लेकिन जब हम इसे सुनते है तो यह ध्वनि किसलिए है इसके पीछे के महत्व को आसानी से समझ जाते है।

शारीरिक संकेत – विभिन्न अवसरों पर, या कभी भी कुछ ऐसे इशारे होते है जिन्हें विभिन्न अंगों जैसे मुख, नाक, आँख, हाथ, ओठ, गर्दन, ऊँगली आदि द्वारा अपने मन के भाव को व्यक्त करते हैं और हम किसी के द्वारा करते हुए देखने पर स्वतः समझ जाते है कि सामने वाला व्यक्ति क्या चाहता है।

जैसे हम किसी बात को सुन रहे है तो केवल सर ऊपर-नीचे हिला देने मात्र से यह बता देते है कि वो बात हम सुन रहे है और उसमें हमारी सहमति है।

अपने सिर को दायें-बाएं घूम देने भर देने से दूसरों को अपने “ना” कहने का इशारा कर देते है, छोटा बच्चा जब रोता है तो माँ समझ जाती है कि बच्चा भूखा है इत्यादि।

Bhasha Kise Kahate Hain
Bhasha Kise Kahate Hain

लिखित भाषा, मौखिक भाषा और सांकेतिक भाषा में अंतर –

1. मौखिक भाषा में वक्ता और श्रोता आमने-सामने होते है और सांकेतिक भाषा में भी वक्ता और श्रोता आमने सामने होते है, जबकि लिखित भाषा में वक्त और श्रोता आमने-सामने नहीं होते है।

2. मौखिक भाषा को सुनकर समझ जाता है, जबकि लिखित भाषा को पढ़कर, इन दोनों ही परिस्थितियों में भाषा को समझने के लिए सबसे पहले इसकी इकाई को समझना जरूरी है।

3. मौखिक भाषा सरलता से, दैनिक जीवन में प्रयोग करने से सीखी जा सकती है, जबकि लिखित भाषा अभ्यास से।

4. लिखित, मौखिक तथा सांकेतिक तीनों भाषाओं में अलग-अलग जगहों के अनुसार परिवर्तन या जाता है, लेकिन इसके बीच मूल उद्देश्य एक ही होता है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच विचारों का आदान-प्रदान करना।

हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाएं –

बहुत से विद्वानों का यह मानना है कि हिंदी भाषा की उत्पति संस्कृत से हुई है, लेकिन यह बात सत्य नहीं है।

हिंदी भाषा की उत्पति अपभ्रंश भाषाओं से हुई है और अपभ्रंश भाषाओं की उत्पति प्राकृत भाषा हुई। प्राकृत भाषा अपने पहले पुरानी बोलचाल की संस्कृत से निकली है, यह स्पष्ट है कि हमारे पूर्वज आर्यों की भाषा पुरानी संस्कृत थी, जिसके प्रमाण ऋग्वेद में मिलते है।

इसी का विकास होते-होते कई प्रकार की प्राकृत भाषाएं उत्पन्न हुई, वर्तमान में हिन्दी भाषा, अर्द्धमागधी और शौरसेनी नाम की प्राकृत भाषाओं के अपभ्रंश से निकली है।

हिन्दुस्तानी हिंदी भाषा के दो रूप हैं, पहली तो वह जो पश्चिमी हिन्दी की शाखा है, दूसरी वह जो साहित्य लिखने के काम आती हैं।

हिंदी भारत की “राष्ट्रभाषा” है, यह भारत के कोने-कोने में बोली जाती है, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, पूरे भारत की यह संपर्क भाषा है।

प्रत्येक राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा से होती है, उसी प्रकार भारत की पहचान “हिंदी” से है, 14 सितंबर 1949 को भारत सरकार ने हिंदी को राजभाषा घोषित किया, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिंदी भारत की राजभाषा है, तथा “देवनागरी” इसकी लिपि है।

भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, आदि राज्यों में हिंदी का प्रयोग राजभाषा के रूप में किया जाता है।

पंजाब, महाराष्ट्र आदि में हिंदी को द्वितीयक भाषा के रूप में प्रयोग किया जाता है, दक्षिण भारत के राज्यों केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, तथा पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी का प्रयोग संपर्क भाषा के रूप में किया जाता है।

भारत में अनेक भाषाएं बोली जाती है, भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता दी गयी है, ये भाषाएं कुछ इस प्रकार है –

असमिया उड़िया कन्नड़ कश्मीरी
कोंकणी तमिल हिंदी गुजराती
तेलुगु नेपाली पंजाबी डोगरी
बांग्ला मराठी मणिपुरी बोडो
मलयालम मैथिली संस्कृत संथाली
उर्दू सिंधी

हिंदी भाषा से जुड़े कुछ तथ्य –

1. भारत की कुल आबादी के 60 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग, हिंदी जानते और समझते है।

2. भारत बाहर भी कई देशों में हिंदी बोली जाती है, मॉरीशस, फ़िजी, सूरीनाम आदि देशों में हिंदी प्रचलित भाषा है।

3. विश्व के 150 से भी अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई हो रही है।

4. हिंदी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है, हर साल 14 सितंबर को “हिंदी दिवस” के दिन के रूप में मनाया जाता है।

बोली (Dialect) और उपभाषा –

बोली – भाषा और बोली में अंतर होता है, बोली किसी विशेष क्षेत्र में बोली जाने भाषा है, यह केवल बातचीत में ही प्रयोग की जाती है, बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो किसी क्षेत्र विशेष में बोली जाने वाली भाषा के क्षेत्रीय रूप को बोली कहते है।

बोली में साहित्यिक रचनाएं नहीं की गयी होती है और इस तरह की भाषा का प्रयोग सरकारी काम-काज में भी नहीं किया जाता है।

जबकि इसके विपरीत भाषा किसी बड़े क्षेत्र में बोली जाने वाली चीज है, और इसका प्रयोग लिखित रूप में सभी जगहों पर किया जाता है।

उपभाषा – जब किसी बोली का क्षेत्र विस्तृत हो जाता है तथा उसमें साहित्यिक रचनाएं की जाने लगती है, तो वह बोली के शतं पर “उपभाषा” बन जाती है।

दूसरे शब्दों में किसी प्रांत अथवा उपप्रांत की बोलचाल और साहित्यिक रचना की भाषा को “उपभाषा” कहते है।

अगर इसके उदाहरण की बात करें तो “ब्रज” तथा “अवधी” बोलियाँ थी, लेकिन जैसे ही इन भाषाओं में साहित्यिक रचनाएं आरंभ हुई, तो ये दोनों “उपभाषाएँ” बन गयी।

“सूरदास” द्वारा रचित “सूरसागर”, तथा अवधी भाषा में “तुलसीदास” कृत “रामचरितमानस” प्रसिद्ध रचनाएं है।

हिंदी की प्रमुख उपभाषाएं –

हिंदी भाषा में ऐसी अनेकों बोलिया है जो उपभाषा के अंतर्गत आती है, जो कुछ इस प्रकार है –

1.पूर्वी हिंदी अवधि, बघेली, भोजपुरी और मैथिली
2.पश्चिमी हिंदी खड़ी बोली, हरियाणवी, राजस्थानी (मारवाड़ी)
3.राजस्थानी मेवाती, मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती
5.पहाड़ी मंडियाली, गढ़वाली, कुमाऊँनी
6.बिहारी अंगिका, भोजपुरी, मैथिली, मगही

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मातृभाषा किसे कहते है? (Matribhasha Kise Kahate Hain) –

Matribhasha Kise Kahate Hain, जब कोई बच्चा जन्म के बाद से अपने माता-पिता या परिवार के माध्यम से जो पहली भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते है।

मातृभाषा को बालक अपने परिवार के सदस्यों के बीच रहकर सीखता है, जैसा परिवार के लोग बोलते है उसकी नकल करते हुए ठीक वैसा ही बोलने की कोशिश करता है, इस तरह से बच्चा अपने सीखने की तीव्र प्रवृति के आधार पर, भाषा बोलना, समझना और उसके अनुसार व्यवहार करना सीखता है।

सभी लोगों में सीखने और समझने की क्षमता बाद में सीखी गयी किसी भी भाषा के मुकाबले मातृभाषा में ज्यादा होती है।

इसलिए बालक की शिक्षा, बौद्धिक विकास, सामाजिक विकास, मौलिक चिन्तन, भाषान्तर भाषा की शिक्षा में सरलता, उत्तम नागरिकता और आर्थिक महत्त्व जैसी चीजें समझने में बहुत आसान होती है।

भाषा किसे कहते है?

भाषा वह माध्यम है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति अपने मन के भावों या विचारों को दूसरो बोलकर, सुनकर, लिखकर या अपने इशारों के माध्यम से दूसरो के सामने प्रकट कर सकता है, दूसरे शब्दों में कहें तो, जिस किसी भी माध्यम से हम अपने मन के भावों या विचारो को किसी दूसरे को समझा सके और अन्य दूसरों व्यक्तियों के भावो को समझ सके उसे “भाषा” कहते है।

लिखित भाषा किसे कहते है?

जब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक विचारों का आदान-प्रदान लिखित रूप में यानि शब्दों के माध्यम से लिखकर किया जाता है तो उसे लिखित भाषा कहा जाता है, लिखित भाषा में दो मुख्य किरदार होते है सबसे पहले एक लिखने वाला और दूसरा पढ़ने वाला, लिखने वाले के समान ही पढ़ने वाले का भी महत्व होता है।

मौखिक भाषा किसे कहते है?

जब कोई दो या दो से अधिक व्यक्ति बोलकर मन के भावों या विचारों को एक दूसरे के सामने लाते है, तो उसे मौखिक भाषा कहते है, मौखिक भाषा को “कथित भाषा” भी कहा जाता है।

मातृभाषा किसे कहते है?

जब कोई बच्चा जन्म के बाद से अपने माता-पिता या परिवार के माध्यम से जो पहली भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते है।

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Summary –

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