Proverbs Meaning in Hindi 》25+ हिंदी कहावतें और उनका अर्थ

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Proverbs Meaning in Hindi | हिंदी कहावतें और उनका अर्थ | हिंदी कहावतें और वाक्य प्रयोग | कहावतें और उनके अर्थ | लोक कहावतें | हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ | बड़े बुजुर्गों की कहावत

भाषा में शब्दों को बोलते समय आमतौर कुछ ऐसे शब्द या वाक्य बोलते है जिनका सीधा मतलब नहीं निकलता है, लेकिन उनके कुछ न कुछ अर्थ जरूर होते है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, कहावतें या लोकोक्तियाँ किसे कहते है? भाषा में इनका महत्व तथा इनके प्रयोग और साथ ही कुछ ऐसे ढेर सारी कहावतों के बारे में भी बात करेंगे (हिंदी कहावतें और उनका अर्थ) जिन्हें अक्सर हम आम तौर पर बोलते है।

Proverbs Meaning in Hindi हिंदी कहावतें और उनका अर्थ
Proverbs Meaning in Hindi हिंदी कहावतें और उनका अर्थ

कहावतें अथवा लोकोक्तियाँ हिन्दी भाषा में अपनी बातों को अधिक प्रभावशाली और आकर्षक रूप से प्रदर्शित करने में मदद करती है।

हिन्दी व्याकरण के तहत आने वाले ये अध्याय स्कूल की बोर्ड परीक्षाओं के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अक्सर पूछे जाते है, इसलिए छात्रों को इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए ।

कहावतें या लोकोक्ति किसे कहते हैं? (Proverbs Meaning in Hindi) –

वे वाक्य जिनका एक एक निश्चित अर्थ निकलता हो जिनको प्रयोग करने से भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि होती हो उसे ”कहावतें या लोकोक्तियाँ” कहते है।

लोकोक्ति वास्तव में वह तीखी युक्ति है जो श्रोता के ह्रदय पर सीधा प्रभाव डालती है, इसे कहावत, जनश्रुति, प्रवाद, वाक्य आदि नामों से भी जाना जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो – वे स्वतंत्र वाक्य जो किसी प्रसंग में विशेष बात कहने के लिए बोले जाते है, लोकोक्ति कहलाते है, इन्हें ही कहावत कहते है।

लोक (सब जगह) + उक्ति (कथन) = सब जगह प्रचलित कथन!

भाषा के सौन्दर्य के बढ़ाने के लिए जिस प्रकार से मुहावरों का प्रयोग होता है उसी प्रकार कहावतों का भी प्रयोग होता है, मुहावरे और कहावत दोनों लगभग एक जैसे होते है लेकिन प्रयोग की दृष्टि से उनमें कुछ भेद होते है।

हिंदी भाषा में बोलते समय शब्दों का बहुत महत्व होता है, खासतौर पर ऐसे शब्दों को बोलते वक्त जिनके कुछ खास अर्थ निकलते हों।

किसी कहावत को समझने के लिए उनके शब्दों के पीछे छिपे भाव को समझना पड़ता है।

कहावतों के प्रयोग से भाषा में ओज और चुस्ती आ जाती है, शैली अधिक प्रभावशाली एवं आकर्षक बन जाती है।

कहावतों का प्रयोग विशेष रूप से किसी को उपदेश देने, किसी पर व्यंग्य करने या उलाहना देने के लिए एकदम सही और सटीक रूप से होता है।

कहावत अपने आप में एक पूर्ण वाक्य होता है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है।

आमतौर पर कहावतों के माध्यम से किसी घटना का संबंध होता है, किसी पौराणिक, ऐतिहासिक या धार्मिक या कभी-कभी साधारण घटना से संबंधित कहावतें बन जाया करती है।

कहावतों की विशेषताएं –

1. कहावतें अपने आप में पूर्ण वाक्य होते हैं। जैसे अकल बड़ी या भैंस

2. कहावतों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है, न इनके आगे किसी शब्द का प्रयोग होता है न पीछे।

3. लोकोक्तियों को प्रयोग करने का मुख्य उद्देश्य तर्क द्वारा किसी बात को साबित करना या विरोध करना होता है। जैसे – अधजल गगरी, छलकत जाय

4. कहावतें अविकारी होती है, मतलब काल, वचन अथवा पुरुष के अनुसार इसमें कोई बदलाव नहीं होता इन्हें ज्यों का त्यों इस्तेमाल किया जाता है।

लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर –

वैसे तो देखने पर मुहावरे और कहावतें दोनों एक जैसे ही होते है, लेकिन इनमें भेद करने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना पड़ता है –

कहावतें अर्थ सहित

प्रमुख हिंदी कहावतें, उनका अर्थ और वाक्य प्रयोग –

1. अन्धेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा- अनुभवहीन मालिक के लिए सभी एक समान ही होते हैं = रामप्रसाद जब तक ग्राम प्रधान रहे तब तक यहाँ प्रचलित था कि अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सर भाजी टका सेर खाजा ।।

2. अधजल गगरी छलकत जाए – अधूरा ज्ञान होने पर आदमी का इतराना = थोड़ा सा बिजनेस ज्ञान सीखने के बाद राम को इतराते देखकर मोहन ने कहा कि तुम्हारी दशा अधजल गगरी छलकत जाए वाली है।

3. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत – मौका चूकने पर क्या पश्चाताप करना = राजेश वर्ष भर पढ़ाई से भागता रहा, अब अनुत्तीर्ण होने पर रोना आ रहा है। ठीक ही कहा गया है कि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

4. आँख के अंधे, नाम नयनसुख – गुण के विपरीत नाम का होना = नाम लखपति है और पास में कौड़ी नहीं है। सच कहा गया है कि आँख के अंधे, नाम नयनसुख।

5. आम के आम गुठली के दाम – दोहरा मुनाफा लेना = रामू ने साल भर किताब को पढ़कर फिर उसी दाम पर बेचकर आम के आम गुठली के दाम वाली बात को चरितार्थ कर दिया।

6. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर – संकट सहने को तैयार होने पर डर क्या = इस दूरस्थ स्थान पर जब नौकरी कर ली तो अब तो मानना ही पड़ेगा कि ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डर।

7. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – गलती करके भी निर्दोष को डाँटना = रामवतार की स्वयं की गलती है परंतु वह गिरिजा को दोषी बनाकर डांट रहे हैं। सच है उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।

8. ऊँची दुकान फीका पकवान – आडम्बर से काम नहीं चल सकता = गृहस्थी स्टोर की तो बड़ी प्रशंसा सुनी थी परंतु यहाँ का सामान लेकर मैं समझ गया हूँ कि ऊँची दुकान फीका पकवान वाली बात है।

9. एक अनार सौ बीमार – एक वस्तु को चाहने वाले अनेक हो = विषयाध्यापक के पास एक पुस्तक है और माँगने वाले छात्र दर्जन भर यह तो वही हुआ कि एक अनार सौ बीमार

10. एक तो करेला दूसरे नीम चढ़ा – बुरा तो था ही और बुरी संगत भी रखता था = रमेश गाँव में जुआ खेलता ही था, शहर में आकर शराब भी पीने लगा। सब है एक तो करेला दूसरे नीम चढ़ा।

11. ओछे की प्रीति बालू की भीति – तुच्छ लोगों का प्रेम क्षणिक होता है = रामू के पास नहीं हैं। उसके संबंध में मेरी मान्यता है कि ओछे की प्रीति बालू की भीति ।

12. कहे खेत की सुने खलिहान की – किसी बात पर ध्यान न देना = मुन्ना से कुछ भी कहने से कोई फायदा नहीं है, वह तो ऐसा लड़का है कि कहे खेत की सुने खलिहान की।

13. कोठी बाला रोए छप्पर वाला सोए – धनवान को गरीब से अधिक चिंता रहती है = मोहन अपने छप्पर में रात भर निश्चिन्त होकर सोता है और पड़ोसी बंदूक लेकर अपने महल की रात भर रखवाली करता है। ठीक ही कहा गया है कि कोठो वाला रोए छप्पर वाला सोए।

4. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – एक को देखकर दूसरा भी उसी प्रकार नकल करता है = राम् की दाढ़ी को देखकर उसके सभी साथी दाढ़ी रखने लगे हैं। वही कहावत हुई कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

15 खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे – लज्जावश क्रोधित होना = नेताजी चुनाव न जीतने पर अनायास हो दूसरों पर आग बबूला हो रहे हैं। ठीक ही कहा गया है- खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे।

16. घर का भेदी लंका ढावे – आपस की फूट से हानि होती है = रावण को विभीषण ने ही तो उसका असली भेद बताकर मरवाया। कहावत भी तो है घर का भेदी लंका ढाये।

17. चोर की दाढ़ी में तिनका- दोषी अपना दोष किसी तरह न किसी प्रकट कर देता है = पुलिस को देखकर प्रमोद भागने लगा क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका होता है।

18. नाच न जाने आंगन टेढ़ा खुद अयोग्य होने पर दूसरों को दोषी बताना = राधा जब ठीक से सिलाई नहीं कर सकी तो मशीन को दोष देने लगी, सच ही खा गया है नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

19. आसमान से गिरे खजूर पर अटके – बड़े संकट से निकलकर छोटे संकट में पड़ जाना = राजू ने अपना पर्स गिर दिया लेकिन काफी खोजने पर जब वह मिल तो, उसकी घड़ी खो गई, सच ही खा गया है आसमाँ से गिरे खजूर पर अटके।

20. छुछून्दर के सिर पर चमेली का तेल – अयोग्य व्यक्ति को सम्मानजनक पद मिलना = ऑफिस में मिस रिया दिनभर केवल इधर से उधर करती रहती है और जब प्रोमोशन की बात आई तो बॉस ने उसे ही लाभ पहुंचाया, ये तो छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल वाली बात हो गई।

21. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – किसी काम का न होना = पढ़ाई न करने वाला रामू न तो कुछ ढंग का काम कर पाता है और न ही घर के कामों में हाथ बंटा पाता है, सच ही खा गया है धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का।

22. बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख – कीमती वस्तु अनायास ही मिल जाती है। 23. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं-गुलामी (परतंत्रता) में सुख नहीं मिलता = पैसे वाले को तो सभी पैसे दे देते है, लेकिन जो गरीब है उसे कोई नहीं पूछता, सच ही खा गया है, बिन मांगे मोती मिले, मँगे मिले न भीख।

24. रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय – प्रेम संबंध नहीं तोड़ना चाहिए अन्यथा जुड़ने पर कोई ना कोई गाँठ अवश्य पड़ जाती है =

25. बसै बुराई जासु तन ताहि को सनमान – आजकल सीधे-साधे लोगों की तुलना में दुष्टों, बदमाशों और गुण्डों का ही सम्मान होता है। =

26. अण्डे का शहजादा – अनुभवहीन व्यक्ति = सोनू ने दोस्तों के सामने बात को बहुत बड़ा चढ़ा कर बोल कि वो क्लास में सभी से ज्यादा टैलेंट रखता है, लेकिन वास्तव में वो अण्डे का शहजादा है।

27. अंगारों पर पैर रखना – मुसीबत मोल लेना = सड़क पर चलते किसी जानवर को जानबूझकर मारना अंगारों पर पैर रखने के बराबर है।

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