Bharat Ke Pramukh Darre | भारत के प्रमुख दर्रे Trick | Bharat Ke Pramukh Darre Map | Bharat Ke Pramukh Darre Trick | Bharat Ke Pramukh Darre In Hindi
दर्रे भौगोलिक क्षेत्र में वे स्थान है, जिनका होना तो वैसे एक समस्या कि बात होती है, लेकिन भारत के लिए इनका होना कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है भारत के प्रमुख दर्रों के बारे में, इनके बारे में पूरी जानकारी तथा मैप और याद करने कि ट्रिक के बारे में भी बात करेंगे, उम्मीद करता हूँ आपको यह जानकारी पसंद आएगी।
Bharat Ke Pramukh Darre भारत के प्रमुख दर्रे Trick –
पर्वतों के आर-पार विस्तृत सँकरे और प्राकृतिक मार्ग, जिससे होकर पर्वतों को पार किया जा सकता है, “दर्रा” कहलाते हैं या दो पर्वतों के मध्य वह स्थान है जो नीचे दब गया हो उसे “दर्रा” कहते है।
दूसरे शब्दों में… पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृतिक रास्तों को “दर्रा” कहा जाता है, दर्रा को अंग्रेजी में “पास”(Pass) कहते है।
प्राकृतिक रूप से दर्रों का निर्माण, भूकंप के कारण, जमीन के खिसकने, पहाड़ों के बीच से नदी के बहने से होता है।
जब कोई हिमनद या जलधारा मिट्टी का अपरदन करती है तो धीरे-धीरे वह मिट्टी को अपने साथ बहा ले जाती है, जिससे दर्रे का निर्माण होता है।
दर्रे भौगोलिक क्षेत्र में वे स्थान है, जिनका होना तो वैसे एक समस्या की बात होती है, लेकिन भारत के लिए इनका होना कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
दर्रे अक्सर लोगों को खड़ी पर्वत श्रृंखलाओं में यात्रा करने के लिए सबसे आसान मार्ग प्रदान करते है।
मानव इतिहास में परिवहन, व्यापार, युद्ध अभियानों और मानवीय प्रवास और भारत की सीमाओं की सुरक्षा में इन दर्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
भारत के प्रमुख दर्रे –
भारत में भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर कई सारे दर्रे है, इनमें से कुछ की मौजूदगी भारत की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, नीचे भारत के सभी दर्रों के बारे में जानकारी दी गई है –
क़ाराक़ोरम दर्रा –
क़ाराक़ोरम दर्रा, भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य और जनवादी गणतंत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिंजियांग प्रदेश के बीच काराकोरम पर्वतमाला में 4,693 मीटर (15,397 फुट) की ऊंचाई पर मौजूद पहाड़ी दर्रा है।
तुर्की भाषा में ‘क़ारा क़ोरम’ का अर्थ ‘काला बाजरा (छोटे कंकड़)’ होता है, क़ाराक़ोरम दर्रा, लद्दाख़ के लेह शहर और तारिम द्रोणी के यारकन्द क्षेत्र के बीच के प्राचीन व्यापिरिक मार्ग का सबसे ऊंचाई पर मौजूद स्थान है।
क़ाराक़ोरम दर्रा दो पहाड़ो के बीच के कन्धे पर स्थित है, यहाँ तापमान बहुत कम हो जाता है और तेज़ हवाएँ चलती हैं लेकिन यही तीव्र हवाएँ यहाँ हिम नहीं टिकने देती, जिस वजह से यह अधिकतर बर्फ़मुक्त रहता है।
फिर भी यहाँ समय-समय पर बर्फ़बारी होती रहती है, यही कारण है कि अत्यधिक ऊंचाई पर मौजूद इस दर्रे के आसपास तक कोई वनस्पति नहीं उगती, यहाँ से गुजरने वाले कारवां में बहुत से जानवर दम तोड़ देते थे।
इसकी चढ़ाई कठिन नहीं मानी जाती और हिममुक्त होने से इसे सालभर प्रयोग में लाया जा सकता है, भारत-चीन तनाव के कारण यह दर्रा वर्तमान में आने जाने के लिए बंद कर दिया गया है।
रोहतांग दर्रा –
यह दर्रा भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू घाटी और लाहौल और स्पीति घाटियों के बीच स्थित है, रोहतांग दर्रा पूरे वर्ष बर्फ से ढंका रहता है।
रोहतांग दर्रा समुद्र तल से 3,980 मीटर (13,058 फुट) की ऊँचाई पर स्थित एक हिमालय का दर्रा है, यह हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी के पूर्वी भाग में मनाली से 51 किलोमीटर की दूरी पर है।
हिमाचल को लद्दाख़ से जोड़ने वाला मनाली लेह राजमार्ग इस दर्रे से गुज़रता है, इसे लाहोल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
यहाँ पूरे वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है, यह दर्रा मौसम में अचानक अत्यधिक बदलावों के कारण भी जाना जाता है।
बर्फ के कारण ही यहाँ से हिमालय श्रृंखला के पर्वतों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है, बादल इन पर्वतों से नीचे दिखाई देते हैं। यहाँ ऐसा नजारा दिखता है, जो पृथ्वी पर शायद ही किसी और स्थान पर देखने को मिले।
यहाँ के अद्भुत खूबसूरत दृश्य को देखने के लिए लाखों लोग यहाँ आते है।
खारदुंग ला दर्रा –
खारदुंग ला दर्रा लद्दाख के लेह जिले में स्थित हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है, इस दर्रे को दूसरे नाम खारदोंग ला या खर्दज़ॉंग ला से भी जाना जाता है
यह दर्रा लद्दाख सीमा पर लेह के उत्तर तथा श्योक और नुब्रा घाटियों के प्रवेशद्वार पर मौजूद है।
साथ ही यह दर्रा सियाचिन हिमनद अवस्थित भाग में यह उत्तरार्ध्द घाटी तक का रास्ता है, इस रास्ते को 1976 में बनाया गया और 1988 में सार्वजनिक मोटर वाहनों के लिए खोला गया।
समुद्र तल खारदुंग ला की ऊँचाई 5,359 मीटर (17,582 फीट) है, खारदुंग ला दुनिया का सबसे ऊँचा मोटरेबल पास है।
बारालाचा ला दर्रा –
बारालाचा ला दर्रा (Baralacha pass), हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति ज़िले में हिमालय की ज़ंस्कार पर्वतमाला में एक 4,890 मीटर (16,040 फुट) की ऊँचाई पर स्थित एक पर्वतीय दर्रा है।
बारालाचा ला दर्रा हिमाचल प्रदेश के लाहौल क्षेत्र को लद्दाख़ प्रदेश के लेह ज़िले से जोड़ता है और इसमें चर्चित से लेह-मनाली राजमार्ग गुज़रता है।
बुर्जिला दर्रा –
बुर्जिला दर्रा, हिमालय पर्वत शृंखला में मौजूद एक प्रमुख दर्रा हैं, यह दर्रा जम्मू-कश्मीर में स्थित है जो श्रीनगर को गिलगित से कनेक्ट करता है।
ज़ोजिला दर्रा –
‘ला’ और ‘दर्रा’ शब्दों का अर्थ एक ही होता है, ज़ोजिला या ज़ोजि दर्रा एक उच्च पर्वतीय हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है जो भारतीय कारगिल जिलेमें लद्दाख क्षेत्र के हिमालय में मौजूद है।
यह दर्रा कश्मीर घाटी को अपने पश्चिम में द्रास और सुरू घाटियों से जोड़ता है और इसके आगे पूर्व में सिंधु घाटी को जोड़ता है, ज़ोजिला दर्रा, लद्दाख के प्रवेश द्वार के रूप में भी प्रसिद्ध है।
लगभग 3,528 मीटर (11,575 फीट) की ऊंचाई पर मौजूद जोजिला पास, श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर फोटू ला के बाद यह दूसरा सबसे ऊंचा दर्रा है, सर्दियों में बर्फबारी के कारण इसे हर साल इस दौरान बंद कर दिया जाता है।
पूरे साल इस रूट पर आवागमन को बनाने के लिए ज़ोजीला सुरंग परियोजना को जनवरी 2018 में भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था और इसके निर्माण की शुरुआत मई 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया था।
14 किलोमीटर लंबी इस ज़ोजिला सुरंग से 3 घंटे के सफर को मात्र 15 मिनट में तय किया जाने लगा है, यह एशिया में सबसे लंबी दोनों तरफ चलने वाली सुरंग है।
पीर पंजाल दर्रा –
पीर पंजाल दर्रा (Pir Panjal Pass) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य की पीर पंजाल पर्वतमाला में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है, यह दर्रा, कश्मीर घाटी को जम्मू क्षेत्र के राजौरी ज़िले और पुंछ ज़िले से जोड़ता है और इस दर्रे से मुगल सड़क गुज़रती है।
कल्हण के अनुसार पीर पंजाल दर्रा का प्राचीन नाम “पञ्चालधारा” है। “दर्रा” को संस्कृत में “धारा” कहते हैं। इस दर्रे से उत्तर में श्रीनगर और दक्षिण में जम्मू स्थित है। यह दर्रा 3,490 मीटर (11,450 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है।
शिपकी ला दर्रा –
तिब्बती भाषा में ‘ला’ शब्द का अर्थ ‘दर्रा’ होता है, इस तरह से इस दर्रे को ‘शिपकी दर्रा’ या ‘शिपकी ला’ कहना चाहिये, इसमें ‘शिपकी ला दर्रा’ कहना ‘दर्रे’ शब्द को दोहराने जैसा है, लेकिन लोगों के द्वारा “शिपकी ला दर्रा” शब्द ही प्रयोग में लाया जाता है।
निति दर्रा –
निति दर्रा भारत के उत्तराखंड राज्य को तिब्बत से जोड़ने वाला हिमालय पर्वतमाला का एक प्रमुख दर्रा है।
समुद्रतल से निति दर्रा की ऊंचाई 5068 मीटर है।
माना दर्रा –
यह उत्तराखंड राज्य में भारत चीन सीमा पर स्थित हिमालय का एक प्रमुख दर्रा है।
माना दर्रा को अन्य नामों जैसे – माना-ला, चिरबितया, चिरबितया-ला अथवा डुंगरी-ला के नाम से भी पुकारा जाता है।
भारत-चीन की सीमा पर स्थित यह दर्रा भारत की तरफ से यह उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर के निकट है और यह NH-58 का अन्तिम छोर है।
उत्तराखंड के माना गांव को तिब्बत से जोड़ने वाले इस दर्रे की ऊंचाई 5,545 मीटर (18,192 फीट) है।
भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक मानसरोवर झील तथा कैलाश जाने का रास्ता यहीं से जाता है।
बनिहाल दर्रा –
बनिहाल दर्रा हिमालय के प्रमुख दर्रों में से एक है, बनिहाल पीर पंजाल पर्वत श्रेणी का एक दर्रा है जो हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला पर है।
कश्मीरी भाषा में ‘बनिहाल’ का अर्थ है- ‘हिमावात’, यह दर्रा डोडा ज़िले में 2,832 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
बनिहाल दर्रा दर्रा कश्मीर घाटी को जवाहर सुरंग के माध्यम से जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है तथा जम्मू के रास्ते शेष भारत से कनेक्ट करता है, राष्ट्रीय राजमार्ग 1A , NH1A इस दर्रे से होकर निकलता है।
पीर पंजाल पर्वत श्रेणी के बीच में भारत की सबसे बड़ी सुरंग के रास्ते, जून 2013 में क़ाज़ीगुंड से बनिहाल तक, रेल सेवा शुरु कर दी गयी है।
यह दर्रा बनिहाल के मैदानों से कश्मीर घाटी तक पहुँचने का प्रमुख मार्ग है, जम्मू-श्रीनगर सड़क जवाहर सुरंग से होते हुए इस दर्रे में प्रवेश करती है, जो सर्दियों में अक्सर बर्फ़ से आवागमन बंद ही रहता है।
शीत ऋतु में बनिहाल दर्रा बर्फ से ढका रहता है, कुछ सालों बाद सड़क परिवहन की व्यवस्था करने के उद्देश्य से यहाँ ‘जवाहर सुरंग’ बनायी गई थी, जिसका उद्घाटन 1956 ई. में किया गया था, जिसके कारण अब इस दर्रे का उपयोग बहुत कम रह गया है।
नाथु ला दर्रा –
नाथु ला दर्रा, हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है, जो कि 14,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
यह भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है, बीसवीं सदी की शुरुआत में भारत और चीन के होनेवाले व्यापार का 80% हिस्सा नाथू ला दर्रे के ज़रिए ही होता था।
भारत और चीन के बीच हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था, फिर इसे जुलाई 2006 को पुनः व्यापार के लिए खोल दिया गया।
अगर इतिहास के पन्ने में देखें तो यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा का भी हिस्सा रहा है।
भारत की ओर से यह दर्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक शहर से 54 किलोमीटर पूरब में स्थित है।
नाथू ला दर्रा, चीन और भारत के बीच आपसी समझौतों द्वारा स्थापित तीन खुले व्यापार की चौकियों में से एक है, बाकी दो अन्य दर्रे (1) हिमाचल प्रदेश में शिपकी ला दर्रा और (2) उत्तराखण्ड स्थित लिपु लेख दर्रा है।
साल 2006 में कई द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के बाद नाथू ला को खोला गया। दर्रे कह खोला जाना हिन्दू और बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है।
यह दर्रा इस क्षेत्र में मौजूद कई तीर्थ स्थलों की दूरी कम कर देता है, साथ ही इसके खुलने से भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने के कारण इस इलाके की अर्थव्यवस्था को गति मिलने की आशा की गयी।
हालाँकि, सप्ताह के केवल कुछ दिनों तक ही होने वाला व्यापार कुछ ख़ास वस्तुओं तक ही सीमित है।
यह आर्टिकल भी पढ़ें –
इसरो क्या है? स्थापना, इतिहास | Click_Here |
ईंधन किसे कहते है, प्रकार | Click Here |
नाटो क्या है? इतिहास, सदस्य | Click Here |
यूरेनियम क्या है? | Click Here |
मेसोपोटामिया की सभ्यता | Click Here |
हरित क्रांति क्या है? उद्देश्य | Click Here |
यूपी के 75 जिलों के नाम | Click Here |
भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों की सूची | Click Here |
Bharat Ke Pramukh Darre | भारत के प्रमुख दर्रे Trick | Bharat Ke Pramukh Darre Map | Bharat Ke Pramukh Darre Trick | Bharat Ke Pramukh Darre In Hindi
लिपुलेख ला दर्रा –
लिपुलेख ला (Lipulekh Pass) या लिपुलेख दर्रा हिमालय पर्वत शृंखला का एक पहाड़ी दर्रा है, यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ ज़िले और चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत के न्गारी विभाग के बीच हिमालय में मौजूद है।
लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के बालाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है।
प्राचीनकाल से ही इस दर्रे का प्रयोग व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत और तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है।
भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस दर्रे का प्रयोग होता है।
इसके पहले भी हमने बात की है कि तिब्बती भाषा में ‘ला’ शब्द का अर्थ ‘दर्रा’ होता है।
क़ायदे से इस दर्रे को ‘लिपुलेख दर्रा’ या ‘लिपुलेख ला’ कहना चाहिये। इसे ‘लिपुलेख ला दर्रा’ कहना ‘दर्रे’ शब्द को दोहराने जैसा है, लेकिन फिर भी यही शब्द प्रचलन में है।
पश्चिमी घाट –
भौगोलिक रूप से भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं।
दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ उत्तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्बी यह पर्वतीय श्रृंखला है।
विश्व में जैविकीय विवधता के लिए यह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है और जैविकीय विवधता की दृष्टि से विश्व में इसका 8वां स्थान है।
पश्चिमी घाट, गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त होती है।
वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्थानों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषणा की है।
संस्कृत में, पश्चिमी घाट का नाम “सह्याद्रि पर्वत” (हजार पर्वत) है, यह पर्वतश्रेणी महाराष्ट्र में कुंदाइबारी दर्रे से आरंभ होकर, तट के समांतर, सागरतट से 30 किमी से 100 किमी के अंतर से लगभग 4,000 फुट तक ऊँची दक्षिण की ओर जाती है।
कुंदाईबारी दर्रा भरुच तथा दकन पठार के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग है। इससे कई बड़ी बड़ी नदियाँ निकलकर पूर्व की ओर बहती हैं। इसमें थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट तीन प्रसिद्ध दर्रे आते है।
प्रसिद्ध थाल घाट से होकर मुंबई-आगरा-मार्ग जाता है, इन दर्रो के अलावा जरसोपा, कोल्लुर, होसंगादी, आगुंबी, बूँध, मंजराबाद एवं विसाली आदि दर्रे हैं। अंत में दक्षिण में जाकर यह श्रेणी पूर्वी घाट पहाड़ से नीलगिरि के पठार के रूप में मिलती है।
भारत के पश्चिमी घाट में बहुत से छोटे बड़े दर्रे है, उन्हीं में से कुछ के बारे में जानकारी दी गई है, जो प्रचलित है।
पालघाट दर्रा –
पालक्काड़ दर्रा (Palakkad Gap) या पालघाट दर्रा (Palghat Gap) भारत के पश्चिमी घाट में एक पहाड़ी दर्रा है जो तमिल नाडु में कोयम्बतूर को केरल में पालक्काड़ से जोड़ता है।
यह उत्तर में नीलगिरि पहाड़ियों और दक्षिण में अन्नामलाई पहाड़ियों के बीच में स्थित पालघाट दर्रा, यह 25 किमी चौड़ा तथा समुद्र तल से 1,000 फुट ऊँचाइ पर स्थित है।
भोरघाट –
यह पश्चिमी घाट श्रेणी के सह्याद्रि पर्वत का एक प्रमुख दर्रा है, भोरघाट दर्रा महाराष्ट्र राज्य में कर्जत और खंडाला के बीच स्थित है।
इस दर्रे से होकर इससे होकर मुम्बई-पूना मार्ग गुजरता है जो मुम्बई को अन्य कई दक्षिण भारतीय नगरों से कनेक्ट करता है। इसके अलावा थालघाट दर्रा भी महाराष्ट में स्थित है।
थाल घाट दर्रा –
महाराष्ट्र के मुंबई शहर को नासिक से जोड़ने वाला यह दर्रा, महाराष्ट्र राज्य में पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियों में स्थित है।
शेनकोट्टा दर्रा –
शेनकोट्टा दर्रा केरल की इलायची पहाड़ियों में 210 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है केरल में स्थित यह दर्रा केरल के तिरुवंतपुरम और तमिलनाडु के मदुरै शहर को आपस में कनेक्ट करता है।
Summary –
तो दोस्तों, भारत के प्रमुख दर्रों के बारे में यह लेख आपको कैसा लगा, हमें जरूर बताएं नीचे कमेन्ट बॉक्स में, यदि आपके पास कोई भी सवाल या सुझाव हो तो उसे भी लिखना न भूलें, इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें, धन्यवाद 🙂
हमें इंस्टाग्राम पर फॉलो करें –